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स्कंदगुप्त (नाटक): जयशंकर प्रसाद पंचम अंक : स्कंदगुप्त [पथ में मुद्गल] मुद्गल-- राजा से रंक और ऊपर से नीचे; कभी दुवृर्त्त दानव, कभी स्नेह-संवलित मानव; कहीं वीणा की झनकार, कहीं दीनता ...